Discussion of three angry friends arguing in a coffee shop

असफलता के तर्क न दें

मैने तो देखें हैं ऐसे व्यक्ति आपने भले ही न देखे हों,जो पहले तो खुद को महान ग्यानी मानने की गलती बड़ी सिददत से करते हैं फिर कामचोरी सहित तमाम मूर्खतापूर्ण आचरण करते हैं और जब बाद में उनके हांथ सफलता की बजाए असफलता आती है तो अपनी असफलता को स्वीकार करके पुन: ईमानदारी से प्रयास करने की बजाय अपनी असफलता के पक्ष में ही तथाकथित तर्क देने लगते हैं ।ऐसे लोगों के बारे मे कुछ अधिक जानने के लिए आइए इस लेख को विचार पूर्वक पढें।हम इस लेख में यह देखेंगे कि वह असफल होने के बावजूद भी किस चालाकी से अपनी मूर्खतापूर्ण सोच को अपने साथ साथ समाज पर भी लागू करने की कोशिश करते हैं ।

अपना तो वक्त खराब है

जी हां दोस्तों जिन लोगों की बात मैं यहां करना चाहता हूं उनका पहला तर्क यही होता है कि अपना तो वक्त खराब है वर्ना हम भी बता देते कि हम चीज क्या हैं ।जब कि हकीकत यही होती है कि वह कोई चीज ही नही होते ।सच पूछिए तो अपनी असफलता के बाद उसे सफलता में बदलने की बजाए जो जीवन भर असफल रहने की कोशिश करते हैं वही यह सब घटिया तर्क देते हैं क्योंकि या तो वक्त किसी का नही होता या फिर सबका होता है
वक्त वास्तव में उसी का होता है जो सचमुच वक्त का होता है ।अर्थात वक्त की जरूरत के हिसाब से जो अपने आचरण में परिवर्तन करना जानता वक्त सी का होता है या फिर उसी का साथ देता है ।

अपना कोई बैक या जैक नही है

अपनी असफलता के भी तर्क खोजने वाले कुछ बहादुर जन इस जुमले का भी भरपूर दोहन करते हैं ।यानी जब भी आप इनकी असफलता के कारण पूछेंगे तो यह दुनिया के नायाब नायक अपनी कोई कमी तलाशने की बजाय यही कहते पाए जाते हैं कि यदि हमारा भी कोई गॉडफादर होता या फिर अपनी भी कोई बैकअप पावर होती तो वह धरती उलट देते ।ऐसे लोग अपने को सदा दीन हीन ही घोषित करते हैं अर्थात यही सिद्ध करने की भरसक कोशिश करते हैं कि वह भी विश्व विजयी होते यदि उनकी भी कोई जान पहचान या जैक पावर होती ।यह लोग कभी भूलकर भी असफलता के वास्तविक कारण अर्थात अपनी गलती की तरफ न तो ध्यान देते हैं और न ही ध्यान दिलाने पर भी उसे पहचानते हैं ।यह एनकेनपरकारेण बस यही सिद्ध करना चाहते हैं कि आप जिसे सफल कहते हैं वह जैक या बैक से सफल है ।अगर यह जैकबैक की पावर इनके पास भी होती तो असली सफलता इन्हें ही मिलने वाली थी ।

किस्मत से ज्यादा और किस्मत से पहले

असफलता के झूठे तर्क गढने वाले इस तथ्य को जरूर आप के सामने प्रस्तुत करते हैं कि चूंकि किस्मत से ज्यादा और समय से पहले सफलता किसी को नही मिलती इसी लिए उन्हें भी इसी वजह से सफलता नही मिली ।कोई उनसे यदि यह जानने की कोशिश करे कि आखिर उनकी किस्मत और समय कब उन्हें सफलता दिलाएंगे तो वह यही कहेंगे कि यही तो राज है असली दुनिया का ।अब इन को कौन बताए कि किस्मत से ज्यादा और समय से पहले का तथाकथित घटिया तर्क किसी और ने नही आलसी और कामचोरी मे माहिर सत्यानाशी टाइप के लोगो की यह महान खोज है जो इनकी जुबान से कभी सपने में भी जुदा नही होती ।

सदाबहार जुमले और असफलता के तर्क

आप असफल लोगों से मिलिए आपको ज्यादा मेहनत कतई नही करनी पड़ेगी आप को शीघ्र ही पता चल जाएगा कि आप किस महान हस्ती से मिल रहे हैं ।सच कहें तो असफल लोग दिमागी जड़ता का शिकार होते हैं ।मजेदार बात तो यह है कि जो व्यक्ति जितना ज्यादा असफल होता है वह उतनी ही असाध्य जड़ता का शिकार होता है ।मैं तो आप को यही कहूंगा कि आप कभी-कभी खुद भी चेक कर लिया करें कहीं आप के आसपास कहीं ऐसे ही किसी महानतम हस्ती वास तो नही है ।

असफलता के तर्क के बीच सफलता का रास्ता

इसका तात्पर्य यह है कि यदि आप वास्तव में अपने प्रयास में ईमानदारी से लगे हैं तो चिन्ता की कोई बात नही है ।असफलता से बचने का एक ही तरीका है कि असफल लोग सफल लोगों की तरफ देखें ।सफल लोगों से प्रेरणा प्राप्त करें ।और सबसे अनमोल बात यह है कि जो भी असफल हैं और सफल होना चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले किसी दूसरे की सफलता का सम्मान करना सीखना चाहिए ।

धन्यवाद
लेखक : के पी सिंह
15022018

27 COMMENTS

  1. सफलता की मिठास असफलता की राहों पर गुजरने के बाद ही मिलती है |ये हम पर निर्भर करता है कि हम असफलता को अपनी ताकत बनाते हैं या कमजोरी | अनेकों एेसे उदाहरण सुनने व देखने को मिल जायेंगे जो कुछ नहीं थे, परन्तु अपने आत्मबल के सहारे अनेकों बार विफल होने के बावजूद अन्ततः वे सफलता को प्राप्त किये और समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गये |

  2. asaphal wyakti hi saphalta ke savi mool mantra ko bhali bhati jante hai. unki saphalta ke lia unhe pariwar, dost wa samaj ko unki sahayata karni chahiye, sath hi jo asaphal wykti hai aur use saphalta chahiye to unhe khul kar bolna hoga ki hame aapki sahayta ki jarurat hai, help me help me

  3. प्रत्येक मनुष्य को जीवन संचलन के लिए काम करना पड़ता है।
    प्रगति करने के लिए बुद्धि युक्त काम करना पड़ता है और स्वयं के तथा समाज के बिकास के लिए अच्छी सोच के साथ काम करना पड़ता है ।
    ईश्वर की उम्मीद पर ही चलना अकर्मण्यता का परिचायक होता है।
    मानस में लक्ष्मण जी ने कहा है-
    कादर मन कहुँ एक अधारा।
    दैव दैव आलसी पुकारा।।
    जो कायर होते हैं वो केवल भगवान की आस लगाये बैठे रहते हैं।
    समय बीत जाता है और अपने भाग्य को दोष देकर दुखी होते रहते हैं।
    वहीं पुरुषार्थी अपने और अपने काम के बीच भगवान को लाते ही नहीं।
    भगवान की पूजा
    हमें जीवन जीने की कला बताती है।
    निष्ठा पूर्वक कार्य करने की प्रेरणा देती है।
    धन्यवाद,
    मेरा निवेदन कैसा लगा;यदि बताएँगे तो बड़ी कृपा होगी।

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