जब प्रयेक व्यक्ति के अन्दर ईश्वर द्वारा एक ही प्रकार का दिमाग दिया है और एक ही प्रकार का शरीर दिया है तो फिर प्रत्येक व्यक्ति सफल और अमीर क्यों नहीं बन पाता है ? कभी न कभी तो आपके मन में भी ये सवाल आया ही होगा | यदि सभी लोग एक जैसे है तो सभी को सफलता भी एक जैसी ही मिलनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं होता है | कुछ लोगों के पास बहुत धन और सपत्ति होती है और कुछ लोगों के पास अपना पेट भरने के लिए खाना तक नहीं होता है | तो आज की इस पोस्ट में हम यही जानेंगे की ऐसा आखिर क्यों होता है |
प्रत्येक व्यक्ति कामयाब और अमीर क्यों नहीं बन पाता है | Why does not everyone become successful and rich?
मुझे पता है आप बहुत होशियार है और आपको पता भी है कि ऐसा क्यों होता है | आप यही कहना चाहते है न कि कुछ लोगों को कामयाब होने के साधन मिल जाते है या उनके घर वालों के पास पहले से पैसे होते है इसलिए वो ये सब हासिल कर लेते है लेकिन गरीबों के पास कोई साधन नहीं होते है इसलिए वो कमजोर रह जाते है | तो अगर आप ऐसा सोचते है तो आप बिलकुल ही गलत सोचते है |
अब तक हमारे देश में ऐसे बहुत लोग हुए है जो पैदा तो एक बहुत ही गरीब घर में हुए या उनको कुछ भी करने की आजादी नहीं थी फिर भी वो एक अमीर व्यक्ति बन गए या यूं कहें की वो सबसे बड़े सफल और कामयाब व्यक्ति बने | जिनका नाम आज भी सम्मान पूर्वक लिया जाता है |
इससे ये सिध्द होता है की परिस्थिति कैसी भी हो अगर आपके अन्दर कामयाब होने की और अमीर बनने की इच्छा हो तो आपको अमीर और सफल बनने से कोई नहीं रोक सकता है | जबकि आज आपके पास हर प्रकार के साधन मौजूद है और आपको सब कुछ करने की आजादी है | इनता सब होने के बाबजूद भी आज लोग गरीबी से परेशान है, लोगों के पास रोजगार नहीं है | लोग पैसे कमाने के लिए या रोजगार पाने के लिए दर – दर की ठोकरे खा रहे है ऐसा क्यों है ? तो चलिए जानते है इसके क्या कारण है ?
मैं नीचे आपको बताऊंगा की इसका क्या कारण है और अगर आपको सच में अमीर बनना है और अपने जीवन को कामयाब बनाना है तो मेरे द्वारा बताएं हुए काम को भी जरूर करें |
खुद पर विश्वास करें :-
कामयाबी केबल उन्ही लोगों को मिलती है जिनको खुद पर विश्वास होता है | पूरी दुनियां आपके विश्वास को ख़त्म करने की कोशिस करती है लेकिन अगर आपको अपने ऊपर विश्वास है तो आपको कामयाबी जरूर मिलेगी | जब भी आप कोई काम करेंगे तो आप उस काम को न करें ये बताने वाले आपके पास अनेक लोग आजायेंगे जिससे आप उस काम को न करें और आप भी उन्ही लोगों की तरह अपना जीवन जीते रहें | अब ये आपको निर्णय लेना है की आप जो काम कर रहे है वो सही है या गलत | अगर आपको लगता है कि आप जिस काम को शुरू करना कहते है या कर रहे है वो सही है तो फिर आप किसी की भी मत सुनों चाहे कोई खुद को कितना भी बड़ा शूरमा क्यों न समझता हो | जब आपको खुद पर विश्वास है तो आपका काम भी पूरा होगा और आपको कमाबी भी मिलेगी | चलिए मैं आपको अपनी एक छोटी सी सच्चाई बताता हूँ |
जब मैंने सन 2016 में अपनी संस्था “स्पेशल चाइल्ड वेलफेयर आर्गेनाइजेशन” की शुरुआत की थी तब मेरे सामने भी ऐसी ही स्थिति बन गयी थी कि मैं इस संस्था को शुरू करू या न करू | क्योंकि एक समाज सेवी संस्था यानी NGO चलाना किसी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं होती है | इसके लिए आपको शुरू से ही अनेक लोगों की आवश्यकता होती है | तो अब सबसे बड़ा सवाल आता है की लोग आपके ऊपर विश्वास करेंगे की नहीं करेंगे | यदि लोग आपके ऊपर विश्वास ही नहीं करेंगे तो फिर आपका NGO शुरू करने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है | फिर तो आप केबल अपना पैसा और समय ख़राब कर रहे है |
इसलिए मैंने खूब सोच समझकर अपने NGO की सभी कार्यशैली और योजना तैयार की, जिनको पूरा करने में मुझे लगभग 6 महीने का समय लगा | क्योंकि ये काम मेरे लिए बिलकुल नया था और मैं इसको बिलकुल नए तरीके से करना चाहता था | खेर कोई बात नहीं जो काम मेरे बस में था मैंने किया | इस प्रकार मैंने एक 200 पेज की डायरी पूरी भरली | जिसमें मैंने संस्था द्वारा किये जाने वाले काम क्या-क्या होंगे, संस्था के पास पैसे कहाँ से आयेंगे | संस्था जिन लोगों को सहायता प्रदान करेगी वो लोग कैसे इकठ्ठा होंगे और संस्था के सभी नियम और कानून मैंने उसमें लिखे | लेकिन ये सब पूरा करने के बाद भी आप अपना NGO शुरू नहीं कर सकते है | क्योंकि NGO कोई कम्पनी नहीं होती है जो आप अपना बिज़नस करने या अपने फायदे के लिए करते है | ये एक समाज सेवा का काम होता है, NGO शुरू करने वाला व्यक्ति NGO का प्रयोग अपने लिए कोई फायदा कमाने के लिए शुरू नहीं कर सकता है और न ही NGO शुरू करने वाला व्यक्ति उस NGO का मालिक होता है | इसलिए आप अकेले NGO का रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते है | उसके लिए आपको अपने NGO की एक कार्यकारिणी समिति बनानी पढ़ती है | जिसमें कम से कम 7 सदस्य होने चाहिए | अधिकतम कितने भी हो सकते है | जैसे – जैसे NGO के सदस्यों की संख्या बढ़ती आएगी आपका NGO उतना ही बड़ा होता जाएगा |
इसके लिए मैंने अपने NGO की समिति के लिए लोगों को खोजना शुरू कर दिया | इसके लिए मैंने तकरीबन 100 लोगों से संपर्क किया | उन सभी को संस्था के बारे में पूरी जानकारी अलग-अलग दी | इस काम को करने में मुझे तक़रीबन 3 महीने का समय लग गया | जिसमें, मैं बहुत ही अच्छे-अच्छे और समझदार लोगों से मिला जो समाज सेवा के लिए तैयार हो जाएँ | जिसमें से केबल 30 लोग ही एक मीटिंग के लिए तैयार हो पायें | जिनमें कुछ अधिकारी लेवल के लोग थे तो कुछ रिटायर परसन भी थे और कुछ युवा थे, इनमें कुछ लोग ऐसे भी थे जो पहले से किसी NGO में काम कर रहे थे या कर चुके थे | कुल मिलकर बात करें मैंने अपनी संस्था की समिति बनाने के लिए 30 लोगों को राजी कर लिया था | फिर एक दिन इन सभी लोगों को मैंने एक हाल में बुलाया और उनके सभी सवालों को जबाब देने का वादा किया कि आपके जितने भी डाउट है या सवाल है मैं उन सभी के आपको जवाब दूंगा, यदि आप मेरे जबाब से संतुष्ट होते है तो आप मेरे साथ इस NGO में शामिल हो सकते है |
हमारी मीटिंग 5 घंटे तक चली जिसमें इन सभी 30 लोगों ने मेरे से तकरीबन 300 सवाल ही पूंछे होंगे | क्योंकि मैं पिछले 6 महीने से संस्था के लिए ही काम कर रहा था तो मैंने हर संभव कोशिश की इनके सभी सवालों के जबाब देने की, लेकिन इन लोगों के 3 – 4 ऐसे सवाल थे जिनके मैंने इनको अपनी योजना के अनुसार सही जवाब दिए लेकिन ये लोग मेरी बात को मानने को किसी भी प्रकार से राजी नहीं थे | इन सभी लोगों को मैंने नास्ता-पानी भी कराया और कुछ समय इन लोगों ने आपस में सलाह करने का लिया | तक़रीबन 30 मिनट बाद इन लोगों का जवाब था की आपकी योजना तो सही है लेकिन जो आप बोल रहे हैं वो काम हो नहीं सकता है | उसके बाद फिर मैंने इनके क्रोस प्रश्नों के जबाब दिए फिर भी लास्ट यहाँ हुआ की इन सभी लोगों का जबाब था की ये काम नहीं हो सकता है | लगातार 5 घंटे तक इन लोगों के प्रश्नों के जबाब देकर मेरी हालत पूरी तरह से ख़राब हो चुकी थी | फिर भी मैंने इन लोगों से आखिरी निवेदन किया की एक बार आप सभी इस NGO को शुरू तो कीजिये | मेरा विश्वास कीजिये हम सभी सफल होंगे और पूरे देश में हमारा नाम होगा | लेकिन इनमें से कोई भी मेरी बात मनाने को राजी ही नहीं हुआ | जब किसी ने भी मेरी बात नहीं मानी तो मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने इन सब को खूब सुनाया और वहाँ से सभी को जाने को बोल दिया और साथ में ये भी कह दिया की ये संस्था तो शुरू होगी लेकिन फर्क सिर्फ उतना होगा की आप लोग इस संस्था की समिति के मेम्बर नहीं होंगे |
ऐसा मैंने इसलिए बोला “क्योंकि मुझे अपने ऊपर विश्वास था कि मैं जो काम करने जा रहा हूँ वो दुनियां का सबसे अच्छा काम है और मैं इस काम को कर सकता हूँ |” अब मैं फिर से वही का वही खड़ा था जहाँ से मैंने शुरुआत की थी, क्योंकि मैंने जो रात और दिन मेहनत करके जिन लोगों को राजी किया था वो तो सभी मना कर चुके थे | लेकिन मैं दोबारा से एक और प्रयास के लिए खुद को तैयार करने लग गया और मैंने 1 महीने तक लगातार दोबारा से मेहनत की और जो उन लोगों ने कमियां बताई थी उन सभी पहलुओं पर मैंने अच्छे से तैयारी की और पिछली बार जो मेरे से गलती हुई थी उनको सुधारने का निर्णय लिया | पिछली बार मैंने अच्छे पढ़े-लिखे, समझदार और पैसे वाले लोगों को ही सामिल किया था | क्योंकि ये वो लोग थे जो की जरूरत पड़ने पर 5 या 10 लाख रुपये तक भी खर्च कर सकते थे तो इनसे मुझे NGO शुरू करने में 1 – 1 लाख रुपये की भी सहायता मिलती तो 30 लाख रुपये में NGO आराम से शुरू हो सकता था | लेकिन इस बार मैंने ऐसे लोगों को नहीं खोजा |
दूसरी बार मैंने ऐसे लोगों को नहीं खोजा जो NGO शुरू करने के लिए कोई पैसे देंगे | इस बार मैंने सिर्फ ऐसे लोगों को खोजा जो संस्था की समिति के मेम्बर बनने के लिए राजी हो जाएँ और सरकार को अपने डाक्यूमेंट्स दे सकें | इस बार मैंने अपनी योजना में NGO शुरू करने से पहले ही जनता से पैसे लेने का प्लान बनाया था | जब इन लोगों ने बोला की पैसे कहाँ से आयेंगे तो मैंने इनको बोला की हम पहले कम से कम 10 लाख लोगों से पैसे लेंगे अपना NGO शुरू करने के लिए और एक बात आपको किसी से पैसे नहीं लेने है ये पैसे केबल मैं अकेला ही 10 लाख लोगों से लेकर आपके लिए इकठ्ठा कर दूंगा | जब आपको लगे की NGO शुरू करने के लिए पर्याप्त पैसा है तो ही आपके डाक्यूमेंट्स सरकार के पास भेजे जायेंगे | फिर क्या था मैंने इन सभी नए लोगों की फिर से मीटिंग कराई और सभी से डाक्यूमेंट्स लेकर संस्था की एक समिति का गठन कर दिया और इन सभी लोगों को आराम करने के लिए बोल दिया |
अब मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि मैं अकेला 10 लाख लोगों से पैसे कैसे ले सकता हूँ और 10 लाख लोग मुझे मिलेंगे कहाँ और वो लोग मुझे पैसे देंगे क्यों ? इन सब सवालों के जवाब खोजते – खोजते मेरा सन 2016 ऐसे ही निकल गया | अब मैंने अपनी पूरी साल बर्बाद करली थी और इससे मेरे घरवाले लोग भी मुझे उल्टा-सीदा बोलते थे और जिन लोगों को मेरे बारे मैं पता था वो भी रोज पूछते थे की कब से शुरू हो रहा है आपका NGO. अब आप खुद को मेरी जगह रख कर सोचिये की मेरी क्या स्थिति रही होगी | मेरी स्थिति बिलकुल उस कहावत की तरह थी कि-
” धोबी का कुत्ता, घर का न घाट का”|
सभी लोगों को मेरे ऊपर पूर्ण विश्वास था कि न तो में कभी 10 लाख लोगों से पैसे ले पाउँगा और न ही कभी NGO शुरू होगा | ये मेरा सपना एक सपना ही रहेगा | तो लोग मेरे को एक पुरानी कहावत को बार-बार सुनते थे-
” न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी”
लेकिन मुझे खुद पर पूरा भरोसा था की में ये कर लूँगा तो मैं उनको जवाब देता था की हम उन में से नहीं हैं, जो नौ मन तेल के डर से राधा का नाच देखना ही छोड़ दें | आप देखते रहिये जब हमने राधा का नाच देखने की ठान ही ली है तो नौ मन तेल भी होगा और राधा भी नाचेगी | ध्यान रखिये हम राधा को एक दिन नहीं बल्कि रोज नचाएंगे | रोज नौ मन तेल इकठ्ठा करेंगे और रोज राधा को नचाएंगे | फिर क्या था मैंने नौ मन तेल इकठ्ठा करने की योजन शुरू कर दी | यानि की एक ऐसे प्लेटफार्म को खोजना शुरू कर दिया जहाँ पर मुझे 10 लाख लोग आसानी से मिल जाए और मैं उन सब से पैसे ले सकूं | इसके लिए मैंने YouTube को सबसे सही माध्यम चुना | और YouTube पर अपना पहला YouTube चैनल “SPL LIVE LEARNING” को बनाया और इस चैनल से लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया |
1 जनवरी 2017 को मैंने लोगों को पहली बार अपनी संस्था को शुरू करने के बारें में बताया और उन सभी को बोला की आप इस संस्था को शुरू करने में मेरी सहायता करें | आप कम से कम 1 रुपये का अपना हिस्सा दे सकते है और अधिकतम जो भी आपकी इच्छा हो | जब संस्था शुरू हो जाएगी तो आप सब लोगों को संस्था का मेम्बर बना दिया जाएगा और आपसे कोई मेम्बरशिप फीस नहीं ली जायेगी | आप कम से कम 1 रुपये की जो पेमेंट कर रहे है उसको संभाल कर रखना | जब मेम्बरशिप के फॉर्म भरे जायेंगे तो आपको इसी 1 रुपये की स्लिप से ही मेम्बरशिप मिल जाएगी | तो लोगों ने मेरी बातों पर विश्वास किया और लोग मुझे पैसे देने लग गएँ | इस प्रकार मेरे चैनल के सब्सक्राइबर भी बड़ते गए और संस्था के लिए लोगों से पैसे भी आते रहे | बाद में लोगों से मिनिमम पैसे लेने की फीस भी बढ़ती गयी और ये पहले 1 रूपया और फिर 10 रूपया और फिर 110 रुपये तक मैंने लोगों से पैसे लिए |
हमारे देश के लोग रेल की तरह है, जिसमें एक इंजन होता है और बाकी सब डिब्बे होते है | जिधर इंजन चलता है डिब्बे भी उसके पीछे – पीछे ही चलने लगते है | इसी प्रकार पहले तो कोई आपके ऊपर विश्वास नहीं करेगा लेकिन जब आप किसी काम में सफलता प्राप्त करने लगेंगे तो फिर सभी लोग आपके कहने अनुसार काम करने लग जायेंगे | वैसा ही मेरे साथ हुआ और मात्र 15 महीने में ही मैंने 10 लाख लोगों से पैसे ले लिए | यहाँ पर मेरा चैनल “SPL LIVE LEARNING” भी अब लाखों रुपये महीने कमाने लग गया था क्योंकि मुझे पैसे के साथ – साथ चैनल को सब्सक्राइब करने वाले लोग और विडियो देखने वाले लोग भी मिल गए थे | जब मेरे पास पर्याप्त मात्र में पैसे आने लगे तो उन लोगों में से भी कई लोग अब NGO की समिति में शामिल होना चाहते थे जिन्होंने मेरा प्रस्ताव ठुकरा दिया था | लेकिन इस बार मैंने उनमें से किसी भी व्यक्ति को शामिल नहीं किया और जिन लोगों ने मेरे ऊपर विश्वास किया उन्ही लोगों के डाक्यूमेंट्स के साथ मैंने अपनी संस्था “स्पेशल चाइल्ड वेलफेयर आर्गेनाइजेशन” के रजिस्ट्रेशन का प्रस्ताव भारत सरकार को भेज दिया |
इस प्रकार 16 मई 2018 को हमें भारत सरकार से संस्था का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट मिल गया और आज इस संस्था से 70 लाख से भी ज्यादा लोग जुड़ चुके है | आज इस संस्था के पास अपने खुद के ऑनलाइन और ऑफलाइन इनकम के प्लेटफार्म है, जिनसे लाखों रुपये रोज की कमाई होती है और अब इस संस्था से जुड़ने वाले लोगों को घर बैठे रोजगार भी मिल रहा है और संस्था से जुड़े सभी मेम्बर हर दिन अच्छी इनकम भी करते है | यदि आपको भी पैसे की जरूरत है या आप भी बेरोजगार है या अपने लिए कोई आसान काम देख रहे है तो आप खुद पर विश्वास करें और आज ही इस संस्था में अपना रजिस्ट्रेशन कराएँ और अपनी जिन्दगी को खुशियों के साथ जियें |
“कामयाब होने और अमीर बनने के लिए हमें खुद पर विश्वास रखना होता है और अपने काम को तब तक करना होता है जब तक हमें उस काम में सफलता प्राप्त न हो जाएँ | असफल लोग खुद पर विश्वास करना छोड़ देते है और छोटी – मोटी परेशानी आने पर ही अपने काम को बीच में ही बंद कर देते है |”
अपना रजिस्ट्रेशन करने के लिए नीचे दिए रजिस्टर बटन को क्लिक करें और आपको मेरा ये खुद पर विश्वास का संघर्ष कैसा लगा मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताएं | संस्था से फायदा उठाने की अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए अन्य पोस्ट को भी पढ़िए |
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